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#12. Diwali 2024: कब मनाएं? 31 अक्टूबर या 1 नवंबर? जानिए शास्त्रों के अनुसार सही तिथि
इस साल Diwali 2024 कब मनाएं? 31 अक्टूबर या 1 नवंबर? जानिए शास्त्रों के अनुसार अमावस्या, उदया तिथि और प्रदोष काल के आधार पर सही तिथि। पढ़ें यह विस्तृत लेख और दूर करें हर संशय।
Vastu Consultant: RishabhDev Jain
10/19/20241 min read


दिवाली 2024: कब मनाएं? 31 अक्टूबर या 1 नवंबर?
Diwali का त्योहार हर साल हमारे जीवन में खुशियों और उजाले का पर्व बनकर आता है। लेकिन इस साल 2024 में, Diwali की तिथि को लेकर लोगों के मन में बहुत भ्रम है। कुछ कैलेंडर 31 अक्टूबर को Diwali मना रहे हैं, जबकि कुछ 1 नवंबर को। धर्म गुरु, ज्योतिषी, और अलग-अलग पंचांगों के मत भी आपस में मेल नहीं खा रहे हैं। ऐसे में आम लोग असमंजस में हैं कि Diwali कब मनाई जाए – 31 अक्टूबर या 1 नवंबर?
इस ब्लॉग में हम इस भ्रम को शास्त्रों और पंचांगों के आधार पर स्पष्ट करेंगे और जानेंगे कि Diwali की सही तिथि क्या है, किस दिन लक्ष्मी पूजन और दीपोत्सव करना सबसे शुभ रहेगा।
दिवाली और अमावस्या का महत्व
Diwali का पर्व सदियों से कार्तिक मास की अमावस्या के दिन मनाया जाता आ रहा है। इस दिन भगवान श्रीराम 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे, और अयोध्यावासियों ने उनके स्वागत में दीप जलाए थे। इसीलिए इसे दीपावली या दीपोत्सव कहा जाता है। Diwali का मुख्य आकर्षण लक्ष्मी पूजन है, जिसे प्रदोष काल के दौरान करना अत्यधिक शुभ माना गया है। लेकिन इस साल 2024 में, अमावस्या तिथि दो दिन – 31 अक्टूबर और 1 नवंबर को पड़ रही है, जिसके कारण लोग भ्रमित हैं कि किस दिन Diwali मनाई जाए।
अमावस्या तिथि 2024
शास्त्रों और पंचांगों के अनुसार, Diwali हमेशा अमावस्या के दिन मनाई जाती है। इस साल कार्तिक मास की अमावस्या 31 अक्टूबर 2024 को दोपहर 3:52 PM से शुरू हो रही है और 1 नवंबर 2024 को शाम 6:16 PM तक रहेगी। यानी, अमावस्या तिथि 31 अक्टूबर और 1 नवंबर दोनों दिन पड़ रही है, लेकिन Diwali रात के समय मनाई जाती है, जब प्रदोष काल होता है।
अब सवाल ये है कि कौन सा दिन Diwali के लिए शुभ है – 31 अक्टूबर या 1 नवंबर?
प्रदोष काल और दिवाली
Diwali का सबसे महत्वपूर्ण समय होता है प्रदोष काल। प्रदोष काल वह समय होता है जब दिन और रात का मिलन होता है, यानी सूर्यास्त के समय। मान्यता है कि इस समय लक्ष्मी पूजन करना अत्यंत शुभ और फलदायी होता है।
इस साल:
31 अक्टूबर को प्रदोष काल शाम 4:24 PM से 6:48 PM तक रहेगा।
1 नवंबर को प्रदोष काल शाम 4:18 PM से 6:42 PM तक रहेगा।
दोनों ही दिनों में अमावस्या प्रदोष काल के दौरान प्रभावी रहेगी। लेकिन शास्त्रों के अनुसार, Diwali किस दिन मनाई जानी चाहिए, यह केवल प्रदोष काल पर निर्भर नहीं करता। इसके लिए हमें अन्य शास्त्रीय सिद्धांतों को भी ध्यान में रखना होगा, जैसे उदया तिथि।
उदया तिथि का महत्व
हिंदू धर्म में किसी भी त्योहार को मनाने के लिए उदया तिथि का विशेष महत्व होता है। उदया तिथि वह तिथि होती है, जो सूर्योदय के समय होती है।
उदया तिथि का मतलब यह है कि त्योहार उस दिन मनाया जाता है जब सूर्योदय के समय उस तिथि का प्रभाव हो। इस साल:
31 अक्टूबर को सूर्योदय के समय चतुर्दशी रहेगी।
1 नवंबर को सूर्योदय के समय अमावस्या रहेगी।
इसलिए, उदया तिथि के आधार पर, Diwali 1 नवंबर को मनाई जानी चाहिए, क्योंकि उस दिन सूर्योदय के समय अमावस्या तिथि प्रभावी रहेगी। शास्त्रों में यह स्पष्ट रूप से कहा गया है कि यदि कोई तिथि दो दिनों में पड़ती है, तो त्योहार उस दिन मनाया जाना चाहिए जिस दिन उदया तिथि होती है। इसी आधार पर, Diwali 1 नवंबर 2024 को मनाई जानी चाहिए।
शास्त्रों में तिथि निर्धारण के अन्य नियम
शास्त्रों के अनुसार, यदि कोई तिथि दो दिनों में पड़ती है, और उस तिथि का प्रभाव सूर्यास्त के 1 घटी (लगभग 24 मिनट) तक रहता है, तो उस दिन रात में त्योहार मनाया जाना चाहिए।
इस साल, 1 नवंबर को सूर्यास्त शाम 5:36 PM पर होगा और अमावस्या शाम 6:16 PM तक रहेगी। यानी, सूर्यास्त के बाद 1 घटी से अधिक समय तक अमावस्या का प्रभाव रहेगा। इसलिए, शास्त्रों के अनुसार Diwali 1 नवंबर 2024 को ही मनाना शुभ और सही होगा।
इस नियम को ध्यान में रखते हुए, यह स्पष्ट हो जाता है कि Diwali का त्योहार 1 नवंबर को ही मनाना चाहिए।
अयोध्या और दिवाली का संबंध
Diwali का त्योहार भगवान श्रीराम के अयोध्या लौटने की खुशी में मनाया जाता है। अयोध्या में ही इस पर्व का विशेष महत्व है, क्योंकि यहीं पर भगवान राम का राज्याभिषेक हुआ था।
इस साल 2024 में, अयोध्या के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास जी ने पुष्टि की है कि अयोध्या में Diwali 1 नवंबर को ही मनाई जाएगी। जब अयोध्या, जो इस त्योहार का मुख्य केंद्र है, 1 नवंबर को Diwali मना रही है, तो हमें इस तिथि को लेकर कोई संदेह नहीं होना चाहिए।
शास्त्रीय प्रमाण और पंचांगों का समर्थन
इस निष्कर्ष को विभिन्न प्राचीन शास्त्रों और पंचांगों का समर्थन प्राप्त है। जैसे:
दीवाकर पंचांग
आर्यभट्ट पंचांग
धर्मसिंधु
पुरुषार्थ चिंतामणि
तिथि निर्णय
इन सभी शास्त्रों और पंचांगों के अनुसार, Diwali का पर्व 1 नवंबर 2024 को मनाना सबसे शुभ और शास्त्रीय रूप से सही होगा।
दिवाली 2024 के धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
Diwali का त्योहार केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। यह पर्व हमें अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने का संदेश देता है। भगवान श्रीराम के अयोध्या लौटने की खुशी में अयोध्यावासियों ने दीप जलाए थे, और उसी परंपरा को हम आज भी निभाते आ रहे हैं।
इस दिन घरों को दीपों से सजाना, लक्ष्मी पूजन करना, और मिठाई बांटना हमारी संस्कृति का हिस्सा है। इस दिन धन की देवी लक्ष्मी और ज्ञान के देवता गणेश की पूजा की जाती है, ताकि हमारे जीवन में धन-धान्य और सुख-समृद्धि का वास हो।
Diwali केवल एक धार्मिक त्योहार नहीं है, बल्कि यह जीवन में नए उत्साह, नई ऊर्जा और नए विचारों का संचार करता है।
अयोध्या की विशेष दिवाली
हर साल, अयोध्या में Diwali का विशेष आयोजन किया जाता है। यहां हजारों दीप जलाए जाते हैं और भगवान राम के स्वागत की परंपरा को भव्य रूप में निभाया जाता है। 2024 में भी अयोध्या में Diwali का आयोजन बड़े धूमधाम से किया जाएगा, और इस बार यह आयोजन 1 नवंबर को होगा। अयोध्या के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास जी ने इस बात की पुष्टि की है कि Diwali का मुख्य आयोजन 1 नवंबर को ही होगा।
जैन धर्म में दिवाली - महावीर स्वामी का निर्वाण
जैन धर्म में दिवाली का एक अनूठा और गहरा महत्व है। इसे भगवान महावीर स्वामी के निर्वाण दिवस के रूप में मनाया जाता है। कार्तिक अमावस्या के दिन, भगवान महावीर ने मोक्ष (मुक्ति) प्राप्त किया था, और तब से जैन समाज इस दिन को भगवान महावीर के निर्वाण कल्याणक के रूप में मनाता है।
जैन धर्म के अनुयायी इस दिन दीप जलाते हैं, जो ज्ञान के प्रकाश और भगवान महावीर स्वामी द्वारा प्राप्त की गई आध्यात्मिक मुक्ति का प्रतीक है। यह दिन जैन कैलेंडर के सबसे महत्वपूर्ण दिनों में से एक है। जैन परंपराओं के अनुसार, 2024 में भी दिवाली 1 नवंबर को मनाई जाएगी, क्योंकि इस दिन अमावस्या तिथि भगवान महावीर के निर्वाण के दिन के साथ मेल खाती है।
महावीर स्वामी का निर्वाण प्रातःकाल में हुआ था, और इसी कारण से जैन अनुयायी इस दिन को विशेष रूप से मनाते हैं, जो उनके आध्यात्मिक मार्ग पर चलने और मोक्ष प्राप्ति के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
जब अयोध्या, जो Diwali का केंद्र है, 1 नवंबर को Diwali मना रही है, तो हमें भी इसी दिन त्योहार मनाना चाहिए।
दिवाली 2024 कब मनानी चाहिए? निष्कर्ष
सभी शास्त्रीय नियम, पंचांगों के मत, और धार्मिक गुरुओं के विचारों को ध्यान में रखते हुए, Diwali 2024 1 नवंबर को मनाई जानी चाहिए।
उदया तिथि, प्रदोष काल, और सूर्यास्त के बाद 1 घटी तक तिथि का प्रभाव – इन सभी शास्त्रीय नियमों के आधार पर Diwali 1 नवंबर 2024 को मनाना सबसे शुभ और सही रहेगा।
इस Diwali, आप भी अपने घर में लक्ष्मी पूजन और दीपोत्सव 1 नवंबर को ही करें और भगवान राम के स्वागत की परंपरा को निभाएं।
FAQs
Diwali 2024 किस दिन मनानी चाहिए?
Diwali 2024 को 1 नवंबर को मनाना सबसे शुभ रहेगा, क्योंकि इस दिन अमावस्या की उदया तिथि है और प्रदोष काल में भी अमावस्या का प्रभाव रहेगा।क्या 31 अक्टूबर को भी Diwali मनाई जा सकती है?
31 अक्टूबर को अमावस्या तिथि शुरू हो रही है, लेकिन शास्त्रों के अनुसार, Diwali उस दिन मनानी चाहिए, जब उदया तिथि अमावस्या हो। इसलिए 1 नवंबर को ही Diwali मनाना सही रहेगा।अयोध्या में Diwali कब मनाई जाएगी?
अयोध्या में Diwali का मुख्य आयोजन 1 नवंबर 2024 को होगा। अयोध्या के मुख्य पुजारी के अनुसार, इस दिन ही Diwali मनाना शुभ रहेगा।प्रदोष काल क्या होता है?
प्रदोष काल सूर्यास्त के समय का वह काल होता है, जब दिन और रात का मिलन होता है। इस समय लक्ष्मी पूजन करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
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